Tuesday, November 16, 2010

" यूँ तो तुम्हे कई बार ..."

" ख्वाबों की रंग भरी दुनियां में ,
यूँ तो तुम्हें कई बार -
रंगों से सरोबर किया है !

बसंत की हरी - भरी हरियाली में ,
यूँ तो तुम्हे कई बार -
महकता मसूस किया है !

दीपों की सुर्ख दमकती लौ में ,
यूँ तो तुम्हे कई बार -
विराहग्नि में दहकता मैंने देखा है !

बातें करते खो जाओ अपने में ,
यूँ तो तुम्हे कई बार -
मिलन के सपने देखते मैंने देखा है !

तड़प कर लिपट जाओ सपने में ,
यूँ तो कई बार -
अपने से शरमाते मैंने देखा है !"

" -- मनु "

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