“ तुमसे प्यार करके
ही पलों को शब्द देना सीखा था ,
अब कहती हो मैं तुम बिन पल जीना सीख लूँ ?
तुमसे प्यार करके ही सफल जीवन जीना सीखा था ,
अब कहती हो तुम बिन सफल रहना सीख लूँ ?
तुमसे प्यार करके ही खुद को पहचानना सीखा था ,
अब कहती हो तुम बिन विशेष
बनना सीख लूँ ?अब कहती हो मैं तुम बिन पल जीना सीख लूँ ?
तुमसे प्यार करके ही सफल जीवन जीना सीखा था ,
अब कहती हो तुम बिन सफल रहना सीख लूँ ?
तुमसे प्यार करके ही खुद को पहचानना सीखा था ,
तुमसे प्यार करके ही निशब्द को शब्द देना सीखा था ,
अब कहती हो तुम कि मैं खुद निशब्द हो जाऊँ ? “
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