" ख्वाबों की रंग भरी दुनियां में ,
यूँ तो तुम्हें कई बार -
रंगों से सरोबर किया है !
बसंत की हरी - भरी हरियाली में ,
यूँ तो तुम्हे कई बार -
महकता मसूस किया है !
दीपों की सुर्ख दमकती लौ में ,
यूँ तो तुम्हे कई बार -
विराहग्नि में दहकता मैंने देखा है !
बातें करते खो जाओ अपने में ,
यूँ तो तुम्हे कई बार -
मिलन के सपने देखते मैंने देखा है !
तड़प कर लिपट जाओ सपने में ,
यूँ तो कई बार -
अपने से शरमाते मैंने देखा है !"
" -- मनु "
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