Monday, November 15, 2010

"प्यार : जीवन का इन्द्रधनुष"

"प्यार " एक ऐसा शब्द है जो मानव जीवन की धड़कन होता है ! हर रिश्ते की जान होता है ! यह जान अगर निकल जाये तो रिश्ते रूपी वृक्ष बिलकुल ऐसे लगतें है न जैसे पतझड़ में सूखा सा...., निरीह सा...., बेजान सा ठूंट सा...! जब हम अपने जीवन में उम्र के उस मोड़ पर पहुँचते हैं जहाँ हमे लगने लगता है की हमारे मन में कोई बस सा गया है , किसी को हम प्यार करने लगे हैं ..और कोई हमे प्यार करने लगा है . तब हमारा मन अपने अन्दर जिंदगी का एक ऐसा आनंद महसूस करने लगता है जो हमारे अन्दर एक नई शक्ति भर देता है ...एक ऐसी शक्ति जिसके कारण हमे लगने लगता है कि हम बदल से गए हैं ..!कितना अच्छा सा लगता है न अपने अन्दर यह बदलाव ..!!मन करता है हम इसी में हमेशा रहें और अपने जीवन को बिता दें ! सच ही तो है कि प्यार में इतनी ताकत होती है कि जो कभी मुस्कुराता नहीं है उसे मुस्कुराना आ जाता है , मन में उम्मीदों की , अरमानों की लहरें उठने लगतीं हैं जिसके कारण हमे यह दुनियां अच्छी सी लगने लगती है ! कहा भी गया है न कि- " प्यार में वो ताकत होती है कि दो देशों की दुश्मनी भी समाप्त हो जाती है !" जैसे किसी के भी दो पहलू होतें है उसी तरह प्यार के भी दो पहलू होतें हैं - " सकारात्मक और नकारात्मक " ! यदि प्यार हमारे जीवन में सकारात्मक रूप से रहा तो जीवन सफल सा लगता है ! इतिहास गवाह है जिसे प्यार मिला उसने इतिहास में अपना सुन्दर सा स्थान बनाया ! जैसे - ताज महल , प्यार का स्मारक ! इस प्यार में इतनी शक्ति होती है कि जिसे मिला वह अपने क्षेत्र में नाम बना पाने में सफल हो गया , जैसे - सचिन तेंदुलकर, कपिल देव, राजीव गाँधी. इंदिरा गाँधी , धर्मेन्द्र , देव आनंद ...जैसे अनेक लोग हैं ! अब अगर प्यार नकारात्मक रूप ले ले तो भी इतिहास बन गए ! जैसे - हिटलर, अल्फ्रेड हिचकाक, ओसामा बिन लादेन , आदि ! यदि हम अपने मन से सोचें तो अपनी स्थिति के बारें में हम अपने से ज्यादा जानतें है न ...! हमे प्यार हुआ है या नहीं , यह प्यार हमने कैसे महसूस किया , इसने हमारे मन पर कितना असर डाला है, हम कितना प्यार करने लगे हैं , हमारी जिदगी में प्यार का क्या असर हुआ है ? क्या हमने जो अपने जीवन का लक्ष्य बनाया है क्या उस पर कोई असर हो सकता है ? अपने दैनिक जीवन में क्या अंतर हम महसूस करतें हैं ? आदि अनेक बातें होती है जिस से हम इस प्यार को समझ सकतें है ..और फिर जिस से हम प्यार करतें हैं क्या वो भी हमे उतना ही प्यार करता है जितना हम करतें हैं ? बस यही वो समय होता है जहाँ से हम सकारात्मक होतें है या नकारात्मक ! फैसला हम पर होता है !! जीवन के इस दोराहे पर बहुत कठिन होता है सामान्य रह पाना ? यदि जो हमारा प्यार सकारात्मक है तब तो लगता है कि जीवन में इन्द्रधनुषी रंग भर गए हैं , और मन हर वह काम करने में सफल हो जाता है जो न केवल हमे अच्छे लगतें है बल्कि सबको अच्छे लगतें है , और अगर हमे अपने प्यार का पूरा साथ और उत्साह मिल जाये तो हमे लगता है हम भी कुछ ऐसा कर सकतें हैं , कि हम भी इतिहास में अपना स्थान बना सकतें है ...और जब मन में इस तरह का विचार आ जाये तो हमारे अन्दर आत्मविश्वास बढ सा गया है कुछ ऐसा महसूस होता है न ...! इस समय यदि हम थोडा सा प्रयास करें तो कोई मुश्किल नहीं कि हम भी इतिहास में अपना नाम नहीं लिख सकते...!! यह है प्यार कि ताकत का एक नमूना जो हर कोई चाहता है उसके जीवन में आये ! यह या नहीं ..!! अब आतें हैं प्यार के नकारात्मक पहलू पर - यहाँ कई स्थितियां आती हैं - हो सकता है जिसे हम प्यार करतें है वो कुछ समय तो यह व्यक्त करता है कि वो भी हमे प्यार करता है पर कुछ समय के बाद उसका व्यवहार बदल जाता है और प्यार एक तरफ़ा ही रह जाता है ! हो सकता है कि कोई हमसे प्यार करता है और हम उसके प्यार को समझ नहीं पाते? या यह भी हो सकता है कि समाज , धर्म , अमीरी - गरीबी आदि के कारण हम अपने प्यार को उस तरह व्यक्त नहीं कर पाते जैसा हमे करना चाहिए ? इन परिस्थितिओं में मन कहीं से टूट सा गया है नहीं लगता ? सबसे कठिन स्थिति तो तब होती है जब हम प्यार करतें है और वो भी हमसे प्यार करता है पर कुछ समय के बाद कहे कि हम प्यार नहीं करते ? यही वो स्थिति होती है जब न केवल मन टूट सा जाता है अपितु जीवन का उत्साह भी खत्म सा होने लगता है ...!मन करता है कि हम क्यों है इस दुनियां में ? जैसे तैसे मन कि इस अवस्था पर काबू पा भी ले तो जीवन में वह आनंद नहीं रह जाता जिसे वास्तव में जीवन कहतें हैं ! यहीं से शुरू होता है मन में नकारात्मक उर्जा का बनना ! और यदि मन ठान ले तो हम अपना नाम इतिहास में नकारात्मक ढंग से लिखा पाने सफल हो सकतें हैं ...!!! कितना अजीब है न यह प्यार भी ...जिसे मिल गया उसे लगता है उसे जीवन मिल गया और जिसे नहीं मिला या बीच रस्ते में छोड़ गया उसे लगता है कि उसे जीवन ही क्यों मिला ? अगर आपके जीवन में कभी ऐसा कुछ आपने महसूस किया हो तो उस पर अकेले में विचार करें और सोचें क्या करना है ..हाँ प्रयास करें कि नकारात्मक को अपने ऊपर हावी न होने न दें क्योंकि हमे जो यह जीवन मिला है उसे यूँ ही गवां देना अपने आप को धोखा देना होता है ! इसलिए इस स्थिति में सामान्य बनने की कोशिश नए जीवन की राह भी बनती है , हाँ थोडा मुश्किल जरूर होता है ..पर कोशिश से क्या नहीं होता ...! हाँ यहाँ एक बात जरूर होती है कि हमारा मन फिर किसी को प्यार नहीं कर पाता ? सही भी तो है प्यार एक ही बार होता है बार बार नहीं ! चलिए अब रोकता हूँ अपने शब्दों को, कहतें है न कि जब मन भर जाये तो शब्द अपने आप रुक जातें हैं ..और मन करता है शब्दों से दूर कहीं अकेले में चले जाएँ ...! है न ...तो बस इतना ही ....!
"-.....मनु भारतीय"

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