" दुनियां के इस -
शोर -शराबे से दूर ,
कभी -कभी मैं -
एकांत चाहता हूँ !
अपने -आप से दूर -
हो जाता हूँ दूर,
अकेलेपन में स्वयं -
मैं खो जाता हूँ !
जानता हूँ खुशियाँ ,
हैं मुझसे कहीं दूर -
फिर भी दुःख में -
मैं सदा मुस्कुराता हूँ !
पल भर साथ दे-
सब हो जातें है दूर,
कोई मेरे पास रहे -
सदा मैं यही चाहता हूँ !
ख्यालों में चला जाता हूँ -
जब मैं बहुत दूर,
तब पास सदा मैं -
अपने साये को ही पाता हूँ !"
-- मनु
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