Sunday, December 5, 2010

" फिर गुनगुनाएं "

" चलो आज फिर गुनगुनाएं ,
प्यार के गीतों को -
जिन्हें हम छोड़ आये थे ,
कुंजों में , गलियन में !

आज फिर महकाएं ,
उन पलों को क्षणों को ,
जिन्हें हम छोड़ आये थे -

चिंताओं में , तकलीफों में !

चलो आज फिर बतियाएं ,
उन बातों को , यादों को -
जिन्हें हम छोड़ आये थे ,
इंतजार में , अखियन में !

चलो आज फिर झिलमिलायें ,
उन तारों में , आकाश में -
जिन्हें हम छोड़ आये थे ,
दूरिओं के जंजाल में ! "

"- ... मनु "

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