" घिर कर आती घटाओं से ,
जब पूछता हूँ नाम तुम्हारा -
कलियाँ रूठ जातीं हैं मुझसे !
मचलते निर्झरों की मदहोशी से ,
जब पूछता हूँ पता तुम्हारा -
कल्पनाएँ रूठ जातीं हैं मुझसे !
मौसम की छलकती जवानी से ,
जब पूछता हूँ सौन्दर्य -रहस्य तुम्हारा -
कामनाएं रूठ जातीं हैं मुझसे !
इसलिए तो कहता हूँ तुमसे ,
अगर मिल जाये प्यार तुम्हारा -
यह सब हो जायेंगे खुश मुझसे ! "
" - ... मनु "
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