Saturday, December 4, 2010

" आरजू "

"पूरी नहीं होती जाने क्यूँ आरजू मेरी ,
लोग शायद मुझे जीने की दुआ देतें हैं !

मुझको न मिला तो क्या दिल के करीब है इतना ,
वरना जो मिलतें हैं वे तो जुदा होतें है !


हैं वो खुशनसीब जिसे गम ही मिलतें हैं ,
ख़ुशी दे के मुकर जाये वे तो खुदा होतें हैं !

जागी - जागी सी रातें , सोये -सोये से दिन हैं ,
हमको खबर नहीं जाने कब जागते कब सोतें हैं !! "


"-...मनु

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