"पूरी नहीं होती जाने क्यूँ आरजू मेरी ,
लोग शायद मुझे जीने की दुआ देतें हैं !
मुझको न मिला तो क्या दिल के करीब है इतना ,
वरना जो मिलतें हैं वे तो जुदा होतें है !
हैं वो खुशनसीब जिसे गम ही मिलतें हैं ,
ख़ुशी दे के मुकर जाये वे तो खुदा होतें हैं !
जागी - जागी सी रातें , सोये -सोये से दिन हैं ,
हमको खबर नहीं जाने कब जागते कब सोतें हैं !! "
"-...मनु
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