Sunday, December 12, 2010

" जीवन की ख़ुशी "

 " ख़ुशी को हम जितना लुटाएंगे , उतना ही वह हमारे करीब आएगी ! कभी सफलता के रूप में तो कभी सम्पन्नता के रूप में ! इसलिए खुश रहना अपने अन्दर आत्मविश्वास मजबूत करने का माध्यम भी है ! जब हम अपनी आंतरिक योग्यताओं को पहचान लेतें हैं और फिर उन्हें आधार बना कर आगे बढतें हैं तो हमे ख़ुशी और कामयाबी साथ -साथ मिलती है ! कहतें है न - " जिंदगी छोटी है मगर खोटी नहीं ! इसलिए छोटी - छोटी बातों में फंसकर जिंदगी को बर्बाद नहीं करना चाहिए !" और जिंदगी को आबाद करना और उसे खुश रखना हमारे स्वयं के नियंत्रण में है न ..! करना ज्यादा कुछ नहीं है केवल - अपने अन्दर आत्मविश्वास का दीपक जलाये रखें , ख़ुशी का प्रदर्शन हंसी से करना ! क्योंकि जहाँ हंसी है वहां सफलता है ! इसलिए हंसी से अपनी आंतरिक प्रसन्नता को व्यक्त कीजिये ! ख़ुशी - आनंद , जुडाव और औचित्य पर निर्भर होती है ! इसलिए तुरंत अपने अन्दर इस बात को महसूस कीजिये कि क्या इन तीनों का सही अनुपात आपके अन्दर है ? साथ ही नियमित भोजन , शांत रहना और प्रसन्नचित मन बनाये रखना भी हमारे जीवन को खुश रखता है न !
तो हम सभी चाहतें हैं न कि हम भी खुश रहें चाहे कितने भी कठिन हालत क्यों न आ जाएँ ...और यह सब करने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना होगा न , तो ऊपर जो लिखा ...उस पर विचार कीजियेगा ..अच्छा लगे तो पालन कीजियेगा ! हो सकता है आप भी खुश हो जाएँ ..तो आपके आस - पास सभी आपको खुश देख कर खुश हो जायेंगे न ..! "
इस बार इतना ही ---

" - ... मनु "

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