Monday, December 13, 2010

" संतों की वाणी "

" कुछ संतों ने अपनी वाणी में कुछ ऐसी -ऐसी बातें कहीं हैं , जिन पर समय का कोई असर नहीं होता ..! अर्थात समय कैसा भी हो वे बातें ऐसी लगतीं हैं जैसे आज के समय की हों और आज के समय के लिए सही हैं ..? शायद इसलिए तो कहतें हैं न ..संतों की वाणी में छुपे अर्थ को हमेशा मन में ग्रहण करना चाहिए , और जब हमे लगे कि हमारे जीवन में कोई उहापोह की स्थिति आ रही है तो वही वाणी हमे ऐसा रास्ता दिखा देतीं हैं,  कि हमे अपने पर विश्वास हो जाता है, कि हम उन्हें आसानी से दूर कर सकतें है ...! आज मैं एक ऐसे ही संत की वाणी के कुछ अंशों को प्रस्तुत कर रहा हूँ , जो कभी भी , किसी भी कठिनाई को दूर करने में हमारे आत्मविश्वास को मजबूत करने में सहायक होतीं हैं ! उन संत का नाम है -- ओशो यानि आचार्य रजनीश ,
संकल्प आपको कार्य करने के लिए प्रेरित करता है ! फिर आप वही बन जातें हैं जो आप बनना चाहतें हैं ! संकल्प , पक्का इरादा और मजबूत हौसला भी तैयार करता है ! तो सोचिये इनकी जरुरत किसे नहीं होगी .......! टालसटाय ने कहा था कि- " आप अपने लक्ष्य के अनुरूप व्यवहार करें , फिर ईश्वर आपकी सहायता के लिए खुद उतर आयेंगे ! इसके बाद आपको अपनी उन आदतों को बदलने की कोशिश करनी होगी , जो आपको अपने लक्ष्य से डिगा सकती हैं ! जैसे - नकारात्मकता !" इसलिए हमे हमेशा अपने लक्ष्य पर ध्यान देना चाहिए , अर्थात हमे अपने जीवन में क्या करना है जिससे हमारा जीवन सार्थक हो सके!
" जब भी आप अपनी उम्र को खुद पर हावी होने का मौका देंगें , तब आप बहुत से अवसरों का लाभ उठाने से चूक जायेंगें ! इसलिए उम्र के लिहाज से काम करने के बारें में सोचना बंद कर दें ! और तुरंत संकल्प लें कि हम अपनी इस सोच को बदल कर ही दम लेंगे ..!" अर्थात होता यह है कभी - कभी कि हम कुछ ऐसा करना चाहतें है जो सबके लिए और हमारे लिए अच्छा हो सकता है पर हम यह सोच कर रह जातें हैं कि उम्र के लिहाज से शायद यह सही न हो ...? बस यह सही नहीं होता ..अब यदि हम ऐसा कुछ कर जाएँ उम्र का लिहाज किये बिना तो ...सभी उस किये गए कार्य कि प्रशंसा ही करेंगे न ..! हाँ यहाँ एक बात की तरफ ध्यान देना जरुरी होता है कि कहीं हमारे स्वास्थ्य , मन या परिवार को कोई नुकसान तो नहीं हो रहा ..!
" लम्बी बहसों से दूर रहने वाले लोग हमेशा खुश रहतें है ! क्योंकि वे क्रोध को अपने ऊपर हावी नहीं होने देते ! फिर उनका दूसरों के साथ करीबी रिश्ता बन जाता है ! दूसरों के नजरिये को समझिये और उनके करीब रहने की कोशिश कीजिये ! " यानि सबसे पहले तो लम्बी बहस करने से बचना चाहिए , क्योंकि लम्बी बहस जिस विषय से शुरू होती है वह धीरे - धीरे अपने विषय से दूर होती जाती है , और अंत में निर्णय कुछ निकलता नहीं है , ऐसे में हम खुद भी तो कहतें है न कि - इतनी बातें की पर नतीजा कुछ नहीं निकला ..!
" आपका मस्तिक्ष बहुत से स्त्रोतों से विचारों को ग्रहण करता है ! इसलिए यह  आसान नहीं होता कि आप अपने पहले से मौजूद विचारों को बदल सकें ? लेकिन कल्पना शक्ति का विस्तार करने के लिए उन विचारों को छोड़ना पड़ता है ! फिर आपके मस्तिक्ष में नए विचार आना शुरू हो जातें हैं ! " यानि हमे हमेशा अपने अनुभवों को प्राप्त की गईं जानकारिओं को बांटते रहना चाहिए , साथ ही अपने अन्दर कल्पना शक्ति को भी बनाये रखना चाहिए तभी हम कुछ नया सोच पायेंगें न ..!
अपने भीतर के बच्चे को हमेशा जिन्दा रखे ! तब वह आपको जीवन के हर मोड़ पर मिलने वाली छोटी - बड़ी खुशियों का आनंद उठाने के काबिल बनाएगा ! यदि आप उसके जादू से वाकिफ होना चाहतें हैं तो अपने अन्दर के बच्चे को हमेशा जिन्दा रखें !" यानि जैसे बच्चा होता है न जो हर बात में जिज्ञासु होता है , छोटी - छोटी खुशियों में खुश रहता है ...उसमे दर नाम की चीज नहीं होती ...कोई भी काम करने में हिचक नहीं होती ...वह यह नहीं सोचता की उस काम का अंजाम क्या होगा ..! वह तो अपने पूरे मन , लगन और हसंते हुए काम करता है ..! इसी को तो कहतें है न कि अपने अन्दर बच्चे को जिन्दा रखना ..!
बस यही कुछ बातें है न जिन्हें हम अगर हमेशा याद रखें तो सोच कर देखिये ..क्या कभी हमे कठिनाई का सामना करने में कोई दिक्कत होगी ..! नहीं न ..!! "
(सीक्रेट आफ सक्सेस से साभार )

" - ... मनु "

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