Saturday, December 4, 2010

" मैं निखरता जाऊं "

" तुम जीवन बनो मैं कर्म बनूँ ,
तुम अस्त्र बनों मैं योद्धा !
तुम धार बनों मैं वार बनूँ ,
क्यों न विजित समर होगा !!
संघर्ष मुझे प्रिये होगा ,
यदि विश्वास बनों तुम !
धरा भी मैं पग से नापूं ,
यदि आकाश बनों तुम !!
सरिता की तरह बहाना सीखो तुम ,

मैं तेज प्रवाह बन जाऊंगा !
तुम जो बन सके मोती ,
मैं प्रशांत अथाह हो जाऊंगा !!
तुम बनों प्रेरणा मेरे लिए ,

मैं भी तुम्हे प्रेरित करता जाऊं !
तुम निखरो महक जीवन की लेकर ,
तुमसा मैं भी निखरता जाऊं !!"

"-... मनु "

1 comment:

  1. प्रिय रोहित जी ,

    आपने मेरे ब्लॉग पढ़े , उसके लिए मैं आपका शुक्रिया करता हूँ ! मैं उम्मीद करूँगा हम इसी तरह एक दूजे के ब्लाग्स पढतें रहें और उत्साह बढ़ातें रहेंगे !
    मनु

    ReplyDelete