Thursday, December 9, 2010

" बोलना एक कला है "

" बोलना वास्तव में एक कला है , जो कई बिगड़े और मुश्किल भरे कामों को भी आसानी से हल कर देता है ! बोली के माध्यम से हम एक दूसरे से बातचीत करने के साथ -साथ विचारों का भी आदान -प्रदान करतें हैं ! यदि हमारी बोली प्रभावपूर्ण है तो दूसरों को आसानी से आकर्षित कर लेती है ! चाहे साधू -संत हों , नेता -अभिनेता हर इन्सान अपनी बोली से अपनी एक अलग छाप छोड़ता है न ! उदाहरण के लिए - अमिताभ बच्चन  को ही ले तो उनकी बोली या आवाज में इतना आकर्षण है कि हर कोई उनका दीवाना हो जाता है ! ऐसे ही अनेक उदाहरण  हैं न ..! कभी -कभी हमारे मन में भी आता है न कि हम भी ऐसा बोलें कि सब हमसे प्रभावित हों ? यह हो भी सकता है , बस हमे थोड़ी सी कोशिश करनी होगी ! कुछ अपने अन्दर बदलाव करने होंगे !! कुछ बातों का पालन करना होगा !!! अगर हम यह कर लेंगे तो हमारे बोलने से न केवल सब खुश होंगे बल्कि हमे खुद को भी अच्छा लगेगा !
*-- जब हम बातें करें तो अपनी आवाज पर ध्यान देना चाहिए , जो न तो बहुत तेज हो न ही बहुत धीमी !
*-- बोलते समय ध्यान दे कि सुनने वाला हमारी बातों को समझ रहा है , उसमे जल्दबाजी न हो , शब्दों का चयन अच्छा हो , कहाँ विराम देना है इसका ध्यान हो ..और हाँ साथ ही इसका भी ध्यान हो कि बोलते समय हम कहीं शब्दों में अटक तो नहीं रहे !
* -- शब्दों का उच्चारण सही होना चाहिए , व्याकरण की गलतियाँ न हो ! यदि ऐसा हुआ तो बोलने में अर्थ का अनर्थ होने में देर नहीं लगेगी और हम उपहास का पात्र बन जायेंगे !
* -- बोलने के पहले हम किस विषय पर बोल रहें हैं उसके बारें में पूरी जानकारी होनी चाहिए , उस विषय के बारे में महान चिंतकों के सूत्र वाक्य , मुहावरे , कहावतें , या रोचक घटनाओं की जानकारी हमारे मन में मस्तिक्ष में होनी चाहिए ! ता कि जब हम बोलना शुरू करें तो कहीं अटकें नहीं !
* -- बोलते समय हमारे चहरे के भाव , शरीर के  हाव -भाव ऐसे होने चाहिए कि सुनने वाले को या देखने वाले को ऐसा न लगे कि हम कुछ ज्यादा अपने आप को दिखा रहे है , सामान्य रह कर और विषय के अनुसार अपने हाव - भाव बदलते  रहें ! आवाज में विषय के अनुसार स्वर या रस का प्रयोग करें - यानि कहीं मुस्कुराने की बात हो तो अपने चेहरे पर मुस्कराहट लायें , इसी प्रकार अपने चेहरे के भाव विषय के अनुसार बदलते रहें !
बस इतना  ही तो करना है ...इतना करने से हमारे बोलने से न केवल सब खुश होंगे अपितु हम स्वयं भी संतुष्ट होंगे न ..!
चलिए आज इतना ही ...! "
" - ... मनु "

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