I am simple person, having good confidence to myself, helping nature , happiness mood,solve all problems by smiling and using simple commonsense..maintain positive environment around myself... "Always dreaming is make path of success in life . Dreaming give shape to our thinking , and thinking solve many of problems of our way of success." bhartiamanu@gmail.com
Tuesday, March 22, 2011
Monday, March 21, 2011
Sunday, March 20, 2011
Saturday, March 19, 2011
Thursday, March 17, 2011
रंग लो अपनों को अपने प्यार से
रंग लो अपने मन को खुशियों से ,
आया होली का त्यौहार है !
रंग लो अपनों को अपने प्यार से ,
आया होली का त्यौहार है !
रंग लो निराशा को ख़ुशी के रंग से ,
आया होली का त्यौहार है !
रंग लो अपने प्यार को अपने रंग से ,
आया होली का त्यौहार है !
रंग लो सभी को मुस्कुरा कर रंग से ,
आया होली का त्यौहार है !
रंग लो अनेकता को एकता के रंग से ,
आया होली का त्यौहार है !
रंग लो यादों को अपने प्यार के रंग से ,
आया होली का त्यौहार है !
रंग लो अपनी निराशा को आशा के रंग से ,
आया होली का त्यौहार है !
रंग लो अपनी उदासी को हसीं भरे रंग से ,
आया होली का त्यौहार है !
रंग लो अपने आप को अपने ही रंग से ,
आया होली का त्यौहार है !
आया होली का त्यौहार है !
रंग लो अपनों को अपने प्यार से ,
आया होली का त्यौहार है !
रंग लो निराशा को ख़ुशी के रंग से ,
आया होली का त्यौहार है !
रंग लो अपने प्यार को अपने रंग से ,
आया होली का त्यौहार है !
रंग लो सभी को मुस्कुरा कर रंग से ,
आया होली का त्यौहार है !
रंग लो अनेकता को एकता के रंग से ,
आया होली का त्यौहार है !
रंग लो यादों को अपने प्यार के रंग से ,
आया होली का त्यौहार है !
रंग लो अपनी निराशा को आशा के रंग से ,
आया होली का त्यौहार है !
रंग लो अपनी उदासी को हसीं भरे रंग से ,
आया होली का त्यौहार है !
रंग लो अपने आप को अपने ही रंग से ,
आया होली का त्यौहार है !
Wednesday, March 16, 2011
सरल सी सादगी भरी मुस्कान ,
सभी का मन मोह लेती है !
देखना हो इसे हकीकत में किसी को ,
तो देख ले आपकी ये तस्वीर !
" गिले शिकवे करतें हैं हम कभी तो -
दिल के पास हो तो मना लेतें हैं प्यार से !
कोई और क्या समझेगा इस बात को ,
तुम हो इसलिए तो दूर नहीं होते दिल से !'
Tuesday, March 15, 2011
वृक्षों का होना हमारा जीवन
मित्रो , हमे पेड़ों की न केवल रक्षा करनी चाहिए बल्कि उन्हें कटने से बचाना भी चाहिए ! हमारे कुछ सुझाव आपके सामने प्रस्तुत हैं ..यदि अच्छे लगे तो ठीक नहीं लगें तो भी ठीक ..! क्योंकि मर्जी आपकी है !
* अपने घरों के आस -पास जहाँ भी पेड़ लगें हों , अपने अत्यंत व्यस्त समय में से कुछ समय उन्हें दें ..उन्हें पानी दें ..उनके आस -पास कोई भी गन्दगी होने से रोकें !
* अपने घरों में यदि थोडा सा भी स्थान है तो गमलों में अपनी पसंद के पौधे लगायें और उनकी उसी तरह देखभाल करें जैसे आप अपने प्रिय की करतें हैं !
* अपने घरों में अपनी पसंद के आलावा -'पीपल , अशोक , या ऐसे ही पेड़ गमलों में लगायें फिर कुछ वर्षों बाद अपने गावं , शहर से दूर ऐसी सुरक्षित जगह चुने जहाँ इन्हें फिर से लगायें तो सुरक्षित अपनी वृद्धि वे पेड़ कर सकें ! साथ ही जब कभी उस स्थल से गुजरे देखें ....!
* कोई भी वृक्ष कटे उसका खुल कर विरोध करें , स्थानीय प्रशासन , समाचार पत्र , वन विभाग को लिखित सूचना देते हुए न काटने का निवेदन करें !
* अपने किसी भी त्यौहार पर पेड़ों का सम्मान करके त्यौहार की शुरुआत करें !
* प्रयास करें जो भी ऐसा कम आपके आस पास कर रहें हों उनका उत्साह बढ़ाएं ..!
यदि इन बातों के आलावा आपके मन में कोई विचार आये तो उस पर अमल करें ..यदि हमने ऐसा नहीं किया तो वो समय दूर नहीं ..जब इस पोस्ट के साथ जो चित्र हम लगा रहें हैं वो सच हो जाये ..! यदि ऐसा हुआ तो सोचिये हमारा क्या होगा ...?
* अपने घरों के आस -पास जहाँ भी पेड़ लगें हों , अपने अत्यंत व्यस्त समय में से कुछ समय उन्हें दें ..उन्हें पानी दें ..उनके आस -पास कोई भी गन्दगी होने से रोकें !
* अपने घरों में यदि थोडा सा भी स्थान है तो गमलों में अपनी पसंद के पौधे लगायें और उनकी उसी तरह देखभाल करें जैसे आप अपने प्रिय की करतें हैं !
* अपने घरों में अपनी पसंद के आलावा -'पीपल , अशोक , या ऐसे ही पेड़ गमलों में लगायें फिर कुछ वर्षों बाद अपने गावं , शहर से दूर ऐसी सुरक्षित जगह चुने जहाँ इन्हें फिर से लगायें तो सुरक्षित अपनी वृद्धि वे पेड़ कर सकें ! साथ ही जब कभी उस स्थल से गुजरे देखें ....!
* कोई भी वृक्ष कटे उसका खुल कर विरोध करें , स्थानीय प्रशासन , समाचार पत्र , वन विभाग को लिखित सूचना देते हुए न काटने का निवेदन करें !
* अपने किसी भी त्यौहार पर पेड़ों का सम्मान करके त्यौहार की शुरुआत करें !
* प्रयास करें जो भी ऐसा कम आपके आस पास कर रहें हों उनका उत्साह बढ़ाएं ..!
यदि इन बातों के आलावा आपके मन में कोई विचार आये तो उस पर अमल करें ..यदि हमने ऐसा नहीं किया तो वो समय दूर नहीं ..जब इस पोस्ट के साथ जो चित्र हम लगा रहें हैं वो सच हो जाये ..! यदि ऐसा हुआ तो सोचिये हमारा क्या होगा ...?
पत्थरों पर सजीव कलाकारी
" कलाकार सही में इतनी प्रतिभा रखता है कि वो निर्जीव में भी जान डाल दे !" जितनी भी प्रशंसा की जाये लगता है कम ही की ..! कोई भी विशेषता यदि हममे है तो हमे अन्य से विशेष बना देती है न..! और इस विशेषता की जान होती है सरलता , सादगी ..! चाहे कलाकार हो या कवि वो केवल इस बात की कल्पना में रहता है कि उसकी कल्पना साकार कैसे हो ? इसमें वो डूबा रहता है और जब उसकी कल्पना साकार होती है , तो उसे इतनी मन की शांति मिलती है की उसे केवल वाही महसूस कर पाता है ! सच ऐसे कलाकारों को मन न केवल हम चाहतें है बल्कि मन ही मन ईश्वर से प्रार्थना भी करतें हैं न कि -ये कलाकार और भी अच्छी कल्पना करे और हमारे मन को ख़ुशी देता रहे .! ...सही है न ये ..तो देखिये इस संग्रह में ..कलाकार ने ' बेजान से छोटे -छोटे पत्थरों के टुकड़ों को अपनी कला से कितना सजीव कर दिया है !" ...उम्मीद है आप सबको पसंद आएगा ...!!!
होली के रंग - प्यार और खुशियों के संग
" होली " ..! एक ऐसा त्यौहार ...जिसमे रंगों के सयोंजन से दिल की प्रसन्नता व्यक्त की जाती है ..मन में उठी उमंग हिलोरें लेती है ...ऐसा लगता है मानों चारों तरफ ..मन की खुशिया तरह -तरह के रंगों में रगीन हो कर नृत्य कर रहीं हो ..! क्या छोटा क्या बड़ा ...क्या अमीर क्या गरीब ..सब अपने मन की ख़ुशी ..को खुल कर व्यक्त करतें हैं ! यही एकमात्र त्यौहार है जिसे हमने मानना शुरू किया और धीरे धीरे सारी दुनिया ने अपने अपने ढंग से मानना शुरू किया ! सच में " होली के रंग भर देतें हैं मन की खुशियों में ऐसा रंग ..जिसे हर कोई अपने संग रखना चाहता है !
हाँ हमे इस त्यौहार में इस बात का जरूर ध्यान रखना चाहिए कि " कोई मर्यादा की सीमा हम न लांघे ! ऐसी कोई हरकत न करें जिससे किसी के मन को कोई ठेस पहुंचे ! " अब क्या है न जिनके दिलों में उत्साह न हो ख़ुशी व्यक्त करने या देखने की आदत न हो तो उसे खुसी देनी भी नहीं चाहिए न ..! बस इस बात को मन में रखते हुए ..डूबें रहें रंगों के सागर में ...रंगों में महकती खुशियों में ...रंगों के उस अनंत दुनियां में ..! जिसमे केवल ख़ुशी होती है ..कोई रंज नहीं ..कोई दुर्भाव नहीं ...कोई अंतर नहीं ..! सब एक जैसे लगतें हैं ...रंगों में रंगे हुए ..! इसलिए भगवान की ये बात यहाँ साकार होती सी लगती हैं --- " सब एक हैं अपनी अपनी खुशियों के रंगों में रंगे हुए ..! "
हम अपने सभी मित्रों को ....अपने इन शब्दों के रंगों से रंगते हुए उन्हें एवं उनके सभी परिजनों को , और जो अपना परिवार बनाने की " प्रोसेस " में हैं ..और जिनका नया नया परिवार बना है सभी को " होली " की रंगीन शुभकामनायें देतें हैं ..! साथ ही यदि हमसे कभी कोई भी ऐसी भूल हो गई हो जिससे आपके दिल को जरा सी भी ठेस लगी हो तो इस रंगों के त्यौहार में हँसते - मुस्कुराते ..हमे क्षमा कर दीजियेगा ..और अपनी पसंद का रंग मन में लगाने का सोच लीजियेगा ..हमे आपके प्यार का ऐसा रंग लग जायेगा ...जो हमे जीवन भर खुशियाँ देता रहेगा ....! " होली है .....!"
हाँ हमे इस त्यौहार में इस बात का जरूर ध्यान रखना चाहिए कि " कोई मर्यादा की सीमा हम न लांघे ! ऐसी कोई हरकत न करें जिससे किसी के मन को कोई ठेस पहुंचे ! " अब क्या है न जिनके दिलों में उत्साह न हो ख़ुशी व्यक्त करने या देखने की आदत न हो तो उसे खुसी देनी भी नहीं चाहिए न ..! बस इस बात को मन में रखते हुए ..डूबें रहें रंगों के सागर में ...रंगों में महकती खुशियों में ...रंगों के उस अनंत दुनियां में ..! जिसमे केवल ख़ुशी होती है ..कोई रंज नहीं ..कोई दुर्भाव नहीं ...कोई अंतर नहीं ..! सब एक जैसे लगतें हैं ...रंगों में रंगे हुए ..! इसलिए भगवान की ये बात यहाँ साकार होती सी लगती हैं --- " सब एक हैं अपनी अपनी खुशियों के रंगों में रंगे हुए ..! "
हम अपने सभी मित्रों को ....अपने इन शब्दों के रंगों से रंगते हुए उन्हें एवं उनके सभी परिजनों को , और जो अपना परिवार बनाने की " प्रोसेस " में हैं ..और जिनका नया नया परिवार बना है सभी को " होली " की रंगीन शुभकामनायें देतें हैं ..! साथ ही यदि हमसे कभी कोई भी ऐसी भूल हो गई हो जिससे आपके दिल को जरा सी भी ठेस लगी हो तो इस रंगों के त्यौहार में हँसते - मुस्कुराते ..हमे क्षमा कर दीजियेगा ..और अपनी पसंद का रंग मन में लगाने का सोच लीजियेगा ..हमे आपके प्यार का ऐसा रंग लग जायेगा ...जो हमे जीवन भर खुशियाँ देता रहेगा ....! " होली है .....!"
Monday, March 14, 2011
मैं हकीकत बन जाऊं !
"बन कर रहना है मुझे महक बन कर ,
कोई भुलाना चाहे तो मैं याद आ जाऊं !
बन कर रहना है मुझे चाहत बन कर ,
कोई भुलाना चाहे तो मैं चाहना बन जाऊं !
बन कर रहना है मुझे शब्द बन कर ,
कोई भुलाना चाहे तो मैं काव्य बन जाऊं !
बन कर रहना है मुझे आइना बन कर ,
कोई भुलाना चाहे तो मैं तस्वीर बन जाऊं !
बन कर रहना है मुझे आसरा बन कर ,
कोई भुलाना चाहे तो मैं हकीकत बन जाऊं !"
मानव जीवन में - 'गंगा , गाय और पीपल ' की महता !
#" गंगा " ..! जैसे मानव शरीर होता हैं , जो हर कठिनाई , दुख तकलीफ ...अपमान ..असहयोग ...असफलताएं ..आदि अनचाहे पलों को अपने में समाहित कर उन्हें अपने आत्मविश्वास रूपी गुणों से पवित्र , निर्मल बना अपना जीवन निर्बाध जीता चला जाता है ..! यही विशेषता है " गंगा " में भी न ...!
#" गाय " ..! जैसे मानव मन बचपन से अपनी उम्र के अंतिम पड़ाव तक अपने परिवार की सेवा करता चला जाता है या कहें अपना कर्तव्य निभाता चला जाता है ..और उफ़ तक नहीं करता ..किसी के कोई अपेक्षा करता भी है और पूरी न हो तो ये सोच कर मन शांत रखता है कि " परिवार है न " ! यही विशेषता होती है " गाय "में भी न ...वह भी किसी से कोई अपेक्षा नहीं रखती और जो प्यार देता है उसे याद रखती है ..और अपने दूध से सभी का पालन करती है न ..!
#" पीपल " ..! जैसे मानव अपने परिवार रूपी वृक्ष में आनंदित रहता है अपने दुख - दर्द भी भूल जाता है ..! ठीक वैसे " पीपल ' भी होता है न अपनी विशाल काया में हर उसको अपने आँचल की छाया देता है कि वह अपनी साडी थकान तक भूल जाता है ..!
अब जब ऐसा है तो हमें इनका वैसा ही सम्मान और देखभाल करनी चाहिए न जैसे हम अपनी स्वयं कि करतें हैं ,,! तो यदि आप इन शब्दों से थोडा सा सहमत होंगे तो अपने स्तर पर इन्हें भी ' ऐसा ही माने जैसे आप अपने आप को मानतें हैं !" ..बस इतना ही ...! शेष फिर कभी ....!
#" गाय " ..! जैसे मानव मन बचपन से अपनी उम्र के अंतिम पड़ाव तक अपने परिवार की सेवा करता चला जाता है या कहें अपना कर्तव्य निभाता चला जाता है ..और उफ़ तक नहीं करता ..किसी के कोई अपेक्षा करता भी है और पूरी न हो तो ये सोच कर मन शांत रखता है कि " परिवार है न " ! यही विशेषता होती है " गाय "में भी न ...वह भी किसी से कोई अपेक्षा नहीं रखती और जो प्यार देता है उसे याद रखती है ..और अपने दूध से सभी का पालन करती है न ..!
#" पीपल " ..! जैसे मानव अपने परिवार रूपी वृक्ष में आनंदित रहता है अपने दुख - दर्द भी भूल जाता है ..! ठीक वैसे " पीपल ' भी होता है न अपनी विशाल काया में हर उसको अपने आँचल की छाया देता है कि वह अपनी साडी थकान तक भूल जाता है ..!
अब जब ऐसा है तो हमें इनका वैसा ही सम्मान और देखभाल करनी चाहिए न जैसे हम अपनी स्वयं कि करतें हैं ,,! तो यदि आप इन शब्दों से थोडा सा सहमत होंगे तो अपने स्तर पर इन्हें भी ' ऐसा ही माने जैसे आप अपने आप को मानतें हैं !" ..बस इतना ही ...! शेष फिर कभी ....!
Sunday, March 13, 2011
रहे सदाबहार वृक्ष हमेशा ..ता कि रहें मुस्कुराते हम ..!
" पेड़ ", कोई भी हो मानव जीवन के अस्तित्व का प्रतीक है ! अब इसे कहें कि ये मानव को प्राण वायु दे कर उसे जीवन देता है , अपने पत्तों कि छावं देकर उसे सूर्य कि गर्मी से बचाता है ! अपने अन्दर छुपे गुणों से मानव शरीर की सरंचना बखूबी मनाये रखने में अपने आप को समर्पित कर देता है ! यानि कुल मिला कर मन सकतें हैं कि " पेड़ " कह ले या ' वृक्ष " ..अब इसका कोई भी नाम हो ..पीपल , अशोक , नीम , कीकर , बरगद , आम , जामुन , या अन्य कोई भी ..! मानव जीवन की रक्षा , विकास , और सुविधा सम्पन्नता के लिए अपना अस्तित्व तक समर्पित कर देता है ..! चूँकि ये बोल नहीं सकता इसका ये मतलब नहीं कि ये सुन या देख नहीं सकता? हम इस गलत फहमी में रहतें है कि - ' ये पेड़ क्या सुनेंगे , कहेंगे ..? " बस जिसके मन में ये विचार आया कि उसके मन से पेड़ के प्रति भावनाएं दम तोड़ गईं ..! यहीं हम गलती कर जातें हैं ..एक ऐसी गलती जिसे सुधारने के लिए पेड़ हमे कितने अवसर देता है उसकी गिनती नहीं फिर भी हम उन अवसरों को देख नहीं पाते ! हाँ तो जब हम इन्हें समझने में गलती कर जातें है तो ..पेड़ भी सोचतें है - " चलों इन स्वार्थी मानवों को थोडा सबक सिखातें हैं ?" जहाँ पेड़ों ने ये सोचा ..कि प्रकृति ने इन्हें अवसर दिया ये कह कर कि - " मैं तुम्हारे साथ हूँ ..बस इशारा कर देना ..बाकि मैं कर लूंगी ..! " जैसे ही पेड़ इशारा करतें हैं ...कि हम " मानव झूझने लगतें है - दावानल के विकराल स्वरुप से अपने आप को बचाने में , सूखी -सी निर्जल बेजान सी धरा पर अपने क़दमों के निशान बनाने में असफल से हम मानव ...सूर्य की गर्मी से बेहाल मानव तो मानव साथ में बेचारे निर्दोष पशु -पक्षी , जिन्होंने कोई अपराध नहीं किया होता पर सजा भुगत जातें हैं ..अपने अस्तित्व का होम करके ..,नदियों का जल , वर्षा का जल , अपना ऐसा तांडव दिखता है कि हक्का -बक्का सा मानव निसहाय सा हो कर रह जाता है ..! पर क्या है न मानव अपनी लालच , स्वार्थ परक आदत , और सवेंदना शून्य से इतना ग्रसित हो गया है ..कि उसे ये सब तब तक नहीं दीखता जब तक उसके अस्तित्व पर प्रश्न चिन्ह न लग जाये ..! है न ...चलिए यदि इतना पढ़ लिया होगा आपने ..तो कुछ सवेंदना जगी होगी - इन पेड़ों के प्रति ..यदि ऐसा हुआ तो - धन्यवाद हमे न दीजियेगा ..धन्यवाद उन पेड़ों को दीजियेगा ...जिन्हें आपने देखा होगा ...जिन्हें पानी चाहिए था , कुछ देखभाल चाहिए थी , अपने वंश वृद्धि के लिए आपका सहयोग चाहिए था पर अनदेखा कर गए थे ..! किसी भी नाम कें पेड़ के लिए ..अपना जो भी सहयोग दें ..सौ प्रतिशत दें ....! यही धन्यवाद ज्ञापन होगा ..! जय हिंद ..! रहे सदाबहार वृक्ष हमेशा ..ता कि रहें मुस्कुराते हम ..!
दिल तोड़ अकेला छोड़ा तुमने !"
"कोई गुस्ताखी तो नहीं की थी हमने -
जो साथ न देने को सोचा तुमने !
कोई कमी तो नहीं की प्यार में हमने ,
जो स्वीकार नहीं किया तुमने !
कोई ज्यादा तो चाहना नहीं की हमने ,
जो जुदा कर दिया अपने से तुमने !
कोई कसम तो नहीं तोड़ी थी हमने ,
जो अपने वादों से दूर किया तुमने !
कोई रिश्ता तो नहीं चाहा था हमने ,
जो दिल तोड़ अकेला छोड़ा तुमने !"
जो साथ न देने को सोचा तुमने !
कोई कमी तो नहीं की प्यार में हमने ,
जो स्वीकार नहीं किया तुमने !
कोई ज्यादा तो चाहना नहीं की हमने ,
जो जुदा कर दिया अपने से तुमने !
कोई कसम तो नहीं तोड़ी थी हमने ,
जो अपने वादों से दूर किया तुमने !
कोई रिश्ता तो नहीं चाहा था हमने ,
जो दिल तोड़ अकेला छोड़ा तुमने !"
Saturday, March 12, 2011
जब तेरा हाथ मेरे हाथ में होता है !
तुम्हारी मुस्कराहट छू लेता हूँ ,
जब तेरा हाथ मेरे हाथ में होता है !
अपना प्यार महसूस कर लेता हूँ ,
जब तेरा हाथ मेरे हाथ में होता है !
मन में खुशियों के रंग भर लेता हूँ ,
जब तेरा हाथ मेरे हाथ में होता है !
भावनाओं में तुम्हे बसा लेता हूँ ,
जब तेरा हाथ मेरे हाथ में होता है !
मन में जुदा न हों दुआ मांग लेता हूँ ,
जब तेरा हाथ मेरे हाथ में होता है !
जब तेरा हाथ मेरे हाथ में होता है !
अपना प्यार महसूस कर लेता हूँ ,
जब तेरा हाथ मेरे हाथ में होता है !
मन में खुशियों के रंग भर लेता हूँ ,
जब तेरा हाथ मेरे हाथ में होता है !
भावनाओं में तुम्हे बसा लेता हूँ ,
जब तेरा हाथ मेरे हाथ में होता है !
मन में जुदा न हों दुआ मांग लेता हूँ ,
जब तेरा हाथ मेरे हाथ में होता है !
जिन्हें हम प्यार कहा करते थे !
क्यों ढूंढता है मन उन पलों को -
जो कभी हमारे हुआ करते थे !
क्यों ढूंढता है मन उन सपनों को -
जिन्हें हम कभी देखा करते थे !
क्यों ढूंढता है मन उन बातों को -
जिनमे उनका जिक्र करते थे !
क्यों ढूंढता है मन उन अहसासों को -
जिनमे हर पल महका करते थे !
क्यों ढूंढता है मन उन भावों को -
जिन्हें शब्दों में बांध खुश होते थे !
क्यों ढूंढता है मन उन संबंधों को -
जिन्हें हम प्यार कहा करते थे !
जो कभी हमारे हुआ करते थे !
क्यों ढूंढता है मन उन सपनों को -
जिन्हें हम कभी देखा करते थे !
क्यों ढूंढता है मन उन बातों को -
जिनमे उनका जिक्र करते थे !
क्यों ढूंढता है मन उन अहसासों को -
जिनमे हर पल महका करते थे !
क्यों ढूंढता है मन उन भावों को -
जिन्हें शब्दों में बांध खुश होते थे !
क्यों ढूंढता है मन उन संबंधों को -
जिन्हें हम प्यार कहा करते थे !
Friday, March 11, 2011
तुमने नहीं देखे सपने मेरे
क्या हुआ जो तुम अब साथ नहीं हो मेरे ,
पर फूलों - सी महकाती हैं यादें तुम्हारी !
क्यां हुआ जो अधूरे रहे वादे तुम्हारे -मेरे ,
पल दिल चाहता है हमेशा ख़ुशी तुम्हारी !
क्या हुआ जो तुमने नहीं देखे सपने मेरे ,
पर ख्यालों में बसी रहती तस्वीर तुम्हारी !
क्या हुआ जो तुम हो न सके साथी मेरे ,
पर साथ हैं कुछ भूली सी यादें तुम्हारी !!
पर फूलों - सी महकाती हैं यादें तुम्हारी !
क्यां हुआ जो अधूरे रहे वादे तुम्हारे -मेरे ,
पल दिल चाहता है हमेशा ख़ुशी तुम्हारी !
क्या हुआ जो तुमने नहीं देखे सपने मेरे ,
पर ख्यालों में बसी रहती तस्वीर तुम्हारी !
क्या हुआ जो तुम हो न सके साथी मेरे ,
पर साथ हैं कुछ भूली सी यादें तुम्हारी !!
" तुम्हे देखना कभी न छोडूंगा ..!"
सपनीला -सा मैं देखा करता था सपना , कब घूमूँगा देश विदेश ? कब बना पाउँगा अपने मित्र ..? कब बन पाउँगा मैं आत्मनिर्भर ..? कब कह पाउँगा अपने देश , धर्म और भाषा की विशेषताएं खुल कर ..? अब चूँकि मैं सपने देखता भी था साथ ही वे कैसे सच होंगे ये भी सोचता था ..क्या करूँ उनके सच होने लिए ? कैसे करूँगा ये सब ? किसकी मदद लूँ ? ये भी सोचता था ! पर हाँ सोचता भी था और उस पर अमल भी ये सोच कर करता था कि - 'सपने तो मेरे हैं न तो मुझे ही कोशिश करनी होगी !' बस अपने आत्मविश्वास को बढाता गया और अपने काम करता गया .. हाँ समय जरूर लगा ..क्यों कि मैंने सयम भी बना कर रखा अपने में ..और आज मेरे सपने सच हो कर मुझे कहतें हैं - " देखा मुझे देखने का फायदा ..पहले क्या थे अब क्या हो ? अच्छा है न ..सब ...जैसा तुम चाहते थे वैसा हुआ न ..! " मैंने भी सपने से कहा मैं अब - " तुम्हे देखना कभी न छोडूंगा ..!"
"जब कहनी हो दिल की बात ,
तो मिलते नहीं शब्द कभी - कभी !
जब देखना हो अपने प्यार को ,
तो दिखतें हैं तस्वीर में कभी कभी !!"
तो मिलते नहीं शब्द कभी - कभी !
जब देखना हो अपने प्यार को ,
तो दिखतें हैं तस्वीर में कभी कभी !!"
पर साथ नहीं हो !
"जाने क्यों बढ़ - सा जाता है ,
प्यार और भी ज्यादा !
ये जानते हुए कि -
तुम हो यादों में, पर साथ नहीं हो !
जाने क्यों मन महका - सा .
रहता है और भी ज्यादा !
ये जानते हुए कि -
महकती मुझमे, पर साथ नहीं हो !
जाने क्यों मुझमे हैं अहसास -
तुम्हारे, तुमसे ज्यादा !
ये जानते हुए कि -
तुम अहसासों में हो , पर साथ नहीं हो !"
प्यार और भी ज्यादा !
ये जानते हुए कि -
तुम हो यादों में, पर साथ नहीं हो !
जाने क्यों मन महका - सा .
रहता है और भी ज्यादा !
ये जानते हुए कि -
महकती मुझमे, पर साथ नहीं हो !
जाने क्यों मुझमे हैं अहसास -
तुम्हारे, तुमसे ज्यादा !
ये जानते हुए कि -
तुम अहसासों में हो , पर साथ नहीं हो !"
" क्या मिटा पाएंगी हवाए ,
हमारे प्यार के नाम को ,
क्या ले जाएँगी लहरें ,
हमारे प्यार के नाम को ,
क्योंकि इन्होने भी अपनाया ,
हमारे प्यार के नाम को ..! "
हमारे प्यार के नाम को ,
क्या ले जाएँगी लहरें ,
हमारे प्यार के नाम को ,
क्योंकि इन्होने भी अपनाया ,
हमारे प्यार के नाम को ..! "
" मैंने तो किया था प्यार ये सोच कर ,
कि जीवन के रंगों से सुन्दर तस्वीर बनायेंगे ?
पर तुमने नहीं समझी रंगों की रंगत ,
और यादों की लकीरों से कैनवास ही रंग दिया !!"
कि जीवन के रंगों से सुन्दर तस्वीर बनायेंगे ?
पर तुमने नहीं समझी रंगों की रंगत ,
और यादों की लकीरों से कैनवास ही रंग दिया !!"
Wednesday, March 9, 2011
बसे हो नज़र में सिर्फ तुम ,
क्यों कर आएगा कोई और नज़र !
इस नज़र की रौशनी तुम ,
तो क्यों न देखूं ये जहाँ एक नज़र !!
क्यों कर आएगा कोई और नज़र !
इस नज़र की रौशनी तुम ,
तो क्यों न देखूं ये जहाँ एक नज़र !!
सच्ची देश भक्ति
जब भारत आज़ाद हुआ तो सब लोग जश्न में व्यस्त हो गए ! एक गावं में तालाब के किनारे कुछ युवक बैठे हुए आपस में बातें कर रहे थे !
तभी एक ग्रामीण आया और उनसे बोला - " सब लोग अपनी ख़ुशी में तुम लोगों को कैसे भूल गए जब कि तुम लोगों पहले बहुत थे पर आज़ादी के लिए संघर्ष करते हुए अब इतने कम बचे हो तुम्हे तो खुश होना चाहिए न !"
उन युवकों में से एक ने कहा - " लगता है हमने कुछ गलत लोगों को कुछ ज्यादा ही महत्त्व दे दिया था अब लगता है इसके परिणाम हमे और सबको कहीं हमेशा न भुगतने पड़ें ? यही सोच रहें हैं ? "
पर उस ग्रामीण की समझ में नहीं आईं उनकी बातें , उसने केवल सर हिलाया और चला गया !
कुछ सालों बाद ......
एक दिन वही युवक तालाब के किनारे बैठे थे तो वही ग्रामीण आया और उनसे बोला - " एक बात समझ में नहीं आई उन सबके नाम से कहीं कोई मूर्ति या समारोह नहीं हो रहा जिन्होंने आपके साथियों जैसे अपनी जान देश की स्वतंत्रता के लिए कुर्बान कर दी ? और जिन्होंने आपके जैसे कोई काम नहीं किया उनके नाम से चौक - चौराहों के नाम और मूर्तियाँ लगाई जा रहीं हैं ? ऐसा क्यों ?
उन युवकों में से एक ने अब खुश होते हुए कहा - ये तो अच्छी बात है न ...! तुम्हे हमारा नाम कहीं नहीं दिखा ?
ग्रामीण ने हैरान होते हुए कहा - नहीं ?
युवक ने हँसते हुए कहा - जय स्तम्भ में हमारे नाम लिखे हैं न पढ़ लेना ..!
फिर ग्रामीण की समझ में कुछ नहीं आया और सर हिलाते हुए चला गया !
कुछ सालों बाद फिर -
उसी स्थान पर उन्ही युवकों के सामने वही ग्रामीण कह रहा था - ' सही कहा था तुम लोगों ने ..मैंने तुम लोगों के नाम पढ़े ..मुझे अब समझ में आया ..कितने सुन्दर अक्षरों में तुम्हारे नाम लिखे हैं ..ठीक वैसे ही - ' जैसे कर्तव्य , भावना , और सत्यता दिखती नहीं है पर ये दुनिया इनके बिना अधूरी है वैसे ही आप युवक हैं ! जिनके इस तरह के काम किसी को दिखते भले न हों पर इसके बिना किसी भी देश का कोई अस्तित्व ही नहीं होगा ! मुझे गर्व है कि - मैं आपका ही एक रूप हूँ ! "
इस पर युवकों ने कहा - अब समझ में आया न - किसी भी काम को करते समय ये नहीं सोचना चाहिए - हमारा नाम होगा या नहीं , अपना काम करते जाओ बस !"
-----सच ही है न सैनिक , किसान , देश भक्त युवक , धर्म रक्षक यदि अपने नाम के लिए काम करें तो वे ये सब काम कर पाएंगे ..? नहीं न ...!!!!
(यह सच्ची घटना है - मोहन भया...)
तभी एक ग्रामीण आया और उनसे बोला - " सब लोग अपनी ख़ुशी में तुम लोगों को कैसे भूल गए जब कि तुम लोगों पहले बहुत थे पर आज़ादी के लिए संघर्ष करते हुए अब इतने कम बचे हो तुम्हे तो खुश होना चाहिए न !"
उन युवकों में से एक ने कहा - " लगता है हमने कुछ गलत लोगों को कुछ ज्यादा ही महत्त्व दे दिया था अब लगता है इसके परिणाम हमे और सबको कहीं हमेशा न भुगतने पड़ें ? यही सोच रहें हैं ? "
पर उस ग्रामीण की समझ में नहीं आईं उनकी बातें , उसने केवल सर हिलाया और चला गया !
कुछ सालों बाद ......
एक दिन वही युवक तालाब के किनारे बैठे थे तो वही ग्रामीण आया और उनसे बोला - " एक बात समझ में नहीं आई उन सबके नाम से कहीं कोई मूर्ति या समारोह नहीं हो रहा जिन्होंने आपके साथियों जैसे अपनी जान देश की स्वतंत्रता के लिए कुर्बान कर दी ? और जिन्होंने आपके जैसे कोई काम नहीं किया उनके नाम से चौक - चौराहों के नाम और मूर्तियाँ लगाई जा रहीं हैं ? ऐसा क्यों ?
उन युवकों में से एक ने अब खुश होते हुए कहा - ये तो अच्छी बात है न ...! तुम्हे हमारा नाम कहीं नहीं दिखा ?
ग्रामीण ने हैरान होते हुए कहा - नहीं ?
युवक ने हँसते हुए कहा - जय स्तम्भ में हमारे नाम लिखे हैं न पढ़ लेना ..!
फिर ग्रामीण की समझ में कुछ नहीं आया और सर हिलाते हुए चला गया !
कुछ सालों बाद फिर -
उसी स्थान पर उन्ही युवकों के सामने वही ग्रामीण कह रहा था - ' सही कहा था तुम लोगों ने ..मैंने तुम लोगों के नाम पढ़े ..मुझे अब समझ में आया ..कितने सुन्दर अक्षरों में तुम्हारे नाम लिखे हैं ..ठीक वैसे ही - ' जैसे कर्तव्य , भावना , और सत्यता दिखती नहीं है पर ये दुनिया इनके बिना अधूरी है वैसे ही आप युवक हैं ! जिनके इस तरह के काम किसी को दिखते भले न हों पर इसके बिना किसी भी देश का कोई अस्तित्व ही नहीं होगा ! मुझे गर्व है कि - मैं आपका ही एक रूप हूँ ! "
इस पर युवकों ने कहा - अब समझ में आया न - किसी भी काम को करते समय ये नहीं सोचना चाहिए - हमारा नाम होगा या नहीं , अपना काम करते जाओ बस !"
-----सच ही है न सैनिक , किसान , देश भक्त युवक , धर्म रक्षक यदि अपने नाम के लिए काम करें तो वे ये सब काम कर पाएंगे ..? नहीं न ...!!!!
(यह सच्ची घटना है - मोहन भया...)
Tuesday, March 8, 2011
संभाल लेना प्यार से अपने
ये न मानना भावनाए बिखरती नहीं कभी ,
इन्हें संभालना सदा प्यार से अपने !
ये न मानना कम होगा प्यार मेरा कभी ,
ऐसा लगे तो संभाल लेना प्यार से अपने !!
जिंदगी का क्या है आज है फिर नहीं कभी ,
ऐसा लगे साथ समझना प्यार दिल में अपने !!
ये न ,मानना सदा बिखरतें है पल प्यार के कभी ,
ऐसा लगे याद कर लेना हमे दिल में अपने !
मेरे प्यार की कशिश
मेरे प्यार की कशिश में सिर्फ तुम हो ,
कभी इसे कम करके देखना नहीं !
मेरे प्यार की महक में सिर्फ तुम हो ,
कभी इससे गुम होगी सोचना नहीं !
मेरे प्यार की शक्ति में सिर्फ तुम हो ,
कभी इसे कमजोर करना नहीं !
मेरे प्यार की धड़कन में सिर्फ तुम हो ,
कभी इसे दिल से जुदा करना नहीं !
मेरे प्यार की ख़ुशी में सिर्फ तुम हो ,
कभी इसे दुख में बदलना नहीं !
मेरे प्यार की सफलता सिर्फ तुम हो ,
कभी इसे जीवन से दूर करना नहीं !
Monday, March 7, 2011
समझ न पाया नादाँ दिल मेरा!
तुमने जब दिया मुझे प्यार ,
समझ न पाया नादाँ दिल मेरा!
अपार था तुम्हारा वो प्यार ,
समझ न पाया नादाँ दिल मेरा !
कितना निसम्मा था प्यार ,
समझ न पाया नादाँ दिल मेरा!
विछोह से भी दूर था प्यार ,
समझ न पाया नादाँ दिल मेरा!
हताश जब तुम छोड़ गईं प्यार ,
समझ न पाया नादाँ दिल मेरा !
जब समझ पाया तुम्हारा प्यार,
तो अब तड़पता है नादाँ दिल मेरा !!
समझ न पाया नादाँ दिल मेरा!
अपार था तुम्हारा वो प्यार ,
समझ न पाया नादाँ दिल मेरा !
कितना निसम्मा था प्यार ,
समझ न पाया नादाँ दिल मेरा!
विछोह से भी दूर था प्यार ,
समझ न पाया नादाँ दिल मेरा!
हताश जब तुम छोड़ गईं प्यार ,
समझ न पाया नादाँ दिल मेरा !
जब समझ पाया तुम्हारा प्यार,
तो अब तड़पता है नादाँ दिल मेरा !!
Sunday, March 6, 2011
पल दो पल के अपने इस प्यार में !
चलो भूल जाएँ हम अपने ग़मों को ,
पल दो पल के अपने इस प्यार में !
चलो भूल जाये हम अपनी दूरियों को ,
पल दो पल के अपने इस प्यार में !
चलो भूल जाएँ हम पिछली बातों को ,
पल दो पल के अपने इस प्यार में !
चलो भूल जाएँ हम जहाँ की सीमा को ,
पल दो पल के अपने इस प्यार में !
चलो भूल जाएँ हम गिले -शिकवों को ,
पल दो पल के अपने इस प्यार में !
चलो भूल जाएँ हम जुदाई के दिनों को ,
पल दो पल के अपने इस प्यार में !
चलो भूल जाएँ हम रोये हुए दिनों को ,
पल दो पल के अपने इस प्यार में !
चलो भूल जाएँ हम दोष देना एक दूजे को ,
पल दो पल के अपने इस प्यार में !
चलो भूल जाएँ हम गलतफहमियों को ,
पल दो पल के अपने इस प्यार में !
चलो भूल जाएँ हम कोई जुदा करेगा हमको ,
पल दो पल के अपने इस प्यार में !
पल दो पल के अपने इस प्यार में !
चलो भूल जाये हम अपनी दूरियों को ,
पल दो पल के अपने इस प्यार में !
चलो भूल जाएँ हम पिछली बातों को ,
पल दो पल के अपने इस प्यार में !
चलो भूल जाएँ हम जहाँ की सीमा को ,
पल दो पल के अपने इस प्यार में !
चलो भूल जाएँ हम गिले -शिकवों को ,
पल दो पल के अपने इस प्यार में !
चलो भूल जाएँ हम जुदाई के दिनों को ,
पल दो पल के अपने इस प्यार में !
चलो भूल जाएँ हम रोये हुए दिनों को ,
पल दो पल के अपने इस प्यार में !
चलो भूल जाएँ हम दोष देना एक दूजे को ,
पल दो पल के अपने इस प्यार में !
चलो भूल जाएँ हम गलतफहमियों को ,
पल दो पल के अपने इस प्यार में !
चलो भूल जाएँ हम कोई जुदा करेगा हमको ,
पल दो पल के अपने इस प्यार में !
Saturday, March 5, 2011
Friday, March 4, 2011
हम तो तुम्हे प्यार करते थे -
कभी अकेले में हंस लेते थे -
तो तुम्हे दिखता नहीं था !
हमेशा याद करते रहते थे -
तुम्हे महसूस नहीं होता था !
तुममे अपने को देखते थे -
तुम्हे पता नहीं चलता था !
न मिलने पर उदास होते थे -
तुम्हे हसीं बहाना लगता था !
तुम्हारी तारीफ करते थे -
तुम्हे हसीं मजाक लगता था !
हम तुमपे विश्वास करते थे -
तुम्हे इसपे भी विश्वास नहीं था !
हम तो तुम्हे प्यार करते थे -
तुम्हे ही हमपे एतबार नहीं था !
खुश रहो सदा ये हम सोचते थे -
तुम्हे परेशां करने में मज़ा आता था !
जब अपने आप से टूट रहे थे -
तुम्हे इसे भी मजाक माना था !
याद है वो शब्द जो तुमने कहे थे -
तुमने हमसे प्यार नहीं मजाक किया था ? "
तो तुम्हे दिखता नहीं था !
हमेशा याद करते रहते थे -
तुम्हे महसूस नहीं होता था !
तुममे अपने को देखते थे -
तुम्हे पता नहीं चलता था !
न मिलने पर उदास होते थे -
तुम्हे हसीं बहाना लगता था !
तुम्हारी तारीफ करते थे -
तुम्हे हसीं मजाक लगता था !
हम तुमपे विश्वास करते थे -
तुम्हे इसपे भी विश्वास नहीं था !
हम तो तुम्हे प्यार करते थे -
तुम्हे ही हमपे एतबार नहीं था !
खुश रहो सदा ये हम सोचते थे -
तुम्हे परेशां करने में मज़ा आता था !
जब अपने आप से टूट रहे थे -
तुम्हे इसे भी मजाक माना था !
याद है वो शब्द जो तुमने कहे थे -
तुमने हमसे प्यार नहीं मजाक किया था ? "
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