" पेड़ ", कोई भी हो मानव जीवन के अस्तित्व का प्रतीक है ! अब इसे कहें कि ये मानव को प्राण वायु दे कर उसे जीवन देता है , अपने पत्तों कि छावं देकर उसे सूर्य कि गर्मी से बचाता है ! अपने अन्दर छुपे गुणों से मानव शरीर की सरंचना बखूबी मनाये रखने में अपने आप को समर्पित कर देता है ! यानि कुल मिला कर मन सकतें हैं कि " पेड़ " कह ले या ' वृक्ष " ..अब इसका कोई भी नाम हो ..पीपल , अशोक , नीम , कीकर , बरगद , आम , जामुन , या अन्य कोई भी ..! मानव जीवन की रक्षा , विकास , और सुविधा सम्पन्नता के लिए अपना अस्तित्व तक समर्पित कर देता है ..! चूँकि ये बोल नहीं सकता इसका ये मतलब नहीं कि ये सुन या देख नहीं सकता? हम इस गलत फहमी में रहतें है कि - ' ये पेड़ क्या सुनेंगे , कहेंगे ..? " बस जिसके मन में ये विचार आया कि उसके मन से पेड़ के प्रति भावनाएं दम तोड़ गईं ..! यहीं हम गलती कर जातें हैं ..एक ऐसी गलती जिसे सुधारने के लिए पेड़ हमे कितने अवसर देता है उसकी गिनती नहीं फिर भी हम उन अवसरों को देख नहीं पाते ! हाँ तो जब हम इन्हें समझने में गलती कर जातें है तो ..पेड़ भी सोचतें है - " चलों इन स्वार्थी मानवों को थोडा सबक सिखातें हैं ?" जहाँ पेड़ों ने ये सोचा ..कि प्रकृति ने इन्हें अवसर दिया ये कह कर कि - " मैं तुम्हारे साथ हूँ ..बस इशारा कर देना ..बाकि मैं कर लूंगी ..! " जैसे ही पेड़ इशारा करतें हैं ...कि हम " मानव झूझने लगतें है - दावानल के विकराल स्वरुप से अपने आप को बचाने में , सूखी -सी निर्जल बेजान सी धरा पर अपने क़दमों के निशान बनाने में असफल से हम मानव ...सूर्य की गर्मी से बेहाल मानव तो मानव साथ में बेचारे निर्दोष पशु -पक्षी , जिन्होंने कोई अपराध नहीं किया होता पर सजा भुगत जातें हैं ..अपने अस्तित्व का होम करके ..,नदियों का जल , वर्षा का जल , अपना ऐसा तांडव दिखता है कि हक्का -बक्का सा मानव निसहाय सा हो कर रह जाता है ..! पर क्या है न मानव अपनी लालच , स्वार्थ परक आदत , और सवेंदना शून्य से इतना ग्रसित हो गया है ..कि उसे ये सब तब तक नहीं दीखता जब तक उसके अस्तित्व पर प्रश्न चिन्ह न लग जाये ..! है न ...चलिए यदि इतना पढ़ लिया होगा आपने ..तो कुछ सवेंदना जगी होगी - इन पेड़ों के प्रति ..यदि ऐसा हुआ तो - धन्यवाद हमे न दीजियेगा ..धन्यवाद उन पेड़ों को दीजियेगा ...जिन्हें आपने देखा होगा ...जिन्हें पानी चाहिए था , कुछ देखभाल चाहिए थी , अपने वंश वृद्धि के लिए आपका सहयोग चाहिए था पर अनदेखा कर गए थे ..! किसी भी नाम कें पेड़ के लिए ..अपना जो भी सहयोग दें ..सौ प्रतिशत दें ....! यही धन्यवाद ज्ञापन होगा ..! जय हिंद ..! रहे सदाबहार वृक्ष हमेशा ..ता कि रहें मुस्कुराते हम ..!
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