Monday, March 14, 2011

मानव जीवन में - 'गंगा , गाय और पीपल ' की महता !

#" गंगा " ..! जैसे मानव शरीर होता हैं , जो हर कठिनाई , दुख तकलीफ ...अपमान ..असहयोग ...असफलताएं ..आदि अनचाहे पलों को अपने में समाहित कर उन्हें अपने आत्मविश्वास रूपी गुणों से पवित्र , निर्मल बना अपना जीवन निर्बाध जीता चला जाता है ..! यही विशेषता है " गंगा " में भी न ...!
#" गाय " ..! जैसे मानव मन बचपन से अपनी उम्र के अंतिम पड़ाव तक अपने परिवार की सेवा करता चला जाता है या कहें अपना कर्तव्य निभाता चला जाता है ..और उफ़ तक नहीं करता ..किसी के कोई अपेक्षा करता भी है और पूरी न हो तो ये सोच कर मन शांत रखता है कि " परिवार है न " ! यही विशेषता होती है " गाय "में भी न ...वह भी किसी से कोई अपेक्षा नहीं रखती और जो प्यार देता है उसे याद रखती है ..और अपने दूध से सभी का पालन करती है न ..!
#" पीपल " ..! जैसे मानव अपने परिवार रूपी वृक्ष में आनंदित रहता है अपने दुख - दर्द भी भूल जाता है ..! ठीक वैसे " पीपल ' भी होता है न अपनी विशाल काया में हर उसको अपने आँचल की छाया देता है कि वह अपनी साडी थकान तक भूल जाता है ..!
अब जब ऐसा है तो हमें इनका वैसा ही सम्मान और देखभाल करनी चाहिए न जैसे हम अपनी स्वयं कि करतें हैं ,,! तो यदि आप इन शब्दों से थोडा सा सहमत होंगे तो अपने स्तर पर इन्हें भी ' ऐसा ही माने जैसे आप अपने आप को मानतें हैं !" ..बस इतना ही ...! शेष फिर कभी ....!

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