" सनम के सजदे में सर झुकाना मुझे है ,
रब से ज्यादा उसको चाहना मुझे है !
इतनी ज्यादा मोहब्बत क्यों मैं करता हूँ.
रब मेरे हाल ऐ दिल को पहचानता है !
मेरी हर चाहत उसके लिए ही है ,
ये दुनियां भी जन्नत बना दूँ उसके लिए !
हर वीराने में फूल खिला दूँ उसके लिए ,
सारी फिजां को रंगीन बना दूँ उसके लिए !
बस उसकी ख़ुशी में फ़ना हो जाना मुझे है ,
इसलिए ये जिंदगी करनी है उनके नाम के लिए !"
रब से ज्यादा उसको चाहना मुझे है !
इतनी ज्यादा मोहब्बत क्यों मैं करता हूँ.
रब मेरे हाल ऐ दिल को पहचानता है !
मेरी हर चाहत उसके लिए ही है ,
ये दुनियां भी जन्नत बना दूँ उसके लिए !
हर वीराने में फूल खिला दूँ उसके लिए ,
सारी फिजां को रंगीन बना दूँ उसके लिए !
बस उसकी ख़ुशी में फ़ना हो जाना मुझे है ,
इसलिए ये जिंदगी करनी है उनके नाम के लिए !"
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