Thursday, February 10, 2011

तेरे  हुस्न  की  चादर  ओढ़े  है ये  रात चांदनी,
तेरे  काजल  की  गहराई  में  डूबी  है ये रात रागिनी !
ठंडी हवा  का  झोंका  तेरी  साँसों  की  महक  है लाया,
मैंने  खुदा  से  आज  रात  फिर  जीने  की  वजह  मांग  ली !
आज  रात तो  गुज़र  जाए  पर  कल  सवेरा  हो  जाएगा ,
वो  अपने  साथ  तुझसे  मिलने  की  नयी  आस  लायेगा !
तुझे  देखना  ही  सिर्फ  इन  आँखों  की  हसरत  है  शायद ,
कल  फिर बिना कुछ कहे  ये दिल घर  लौट आयेगा  !
रास्ते नज़र नहीं आते तेरे तक जाने को  बिछी रहती है.
हर पल ये  आँखें तेरी एक आहट के आने को !
तेरी गैर मौजूदगी का गम तो एक बहाना है .
मेरी किस्मत ही राज़ी नहीं शायद मुझे आजमाने को !

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