" हर तरह के जज्बात का आईना हैं आँखें ,
कभी शबनम तो कभी ख़ुशी हैं आँखें !
आँखें ही मिलातीं हैं ज़माने में दिलों को ,
अंजान हैं हम तुम , अगर अंजान हैं आँखें !
लब कुछ भी कहें इससे हकीकत नहीं खुलती ,
इन्सान के सच - झूट की पहचान हैं आँखें !
आँखें न झुकें कभी किसी गैर के आगे ,
दुनियां में सबसे ज्यादा अनमोल हैं आँखें !!"
कभी शबनम तो कभी ख़ुशी हैं आँखें !
आँखें ही मिलातीं हैं ज़माने में दिलों को ,
अंजान हैं हम तुम , अगर अंजान हैं आँखें !
लब कुछ भी कहें इससे हकीकत नहीं खुलती ,
इन्सान के सच - झूट की पहचान हैं आँखें !
आँखें न झुकें कभी किसी गैर के आगे ,
दुनियां में सबसे ज्यादा अनमोल हैं आँखें !!"
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