अंग्रेजी में एक शब्द है - " कामनसेंस " ! है तो एक शब्द ही पर ये अनेक तरह की उहा - पोह , विकट परिस्थितियों , और उलझाव में " रामबाण " के रूप में काम करता है ! " क्या तुममे कामनसेंस नहीं है कि तुम देख कर भी अंजान बन रहे हो ..? " जैसी अनेक स्थितियों को सरल बनता है ! जिन रिश्तों से हम घिरे रहतें हैं , उनमे अपनापन , कर्तव्य परायणता प्रदर्शित होती है ..! जिसे हम अज्ञानता वश " हम तुम्हारी चिंता करतें हैं ..!" आदि बातें करतें हैं , उसे मान लेतें हैं कि ये बातें हमारे भले के लिए कही जा रहीं हैं ! हमे इस बात का पता भी नहीं होता कि इन वाक्यों का वास्तविक अर्थ क्या है .? सच तो ये होता है कि इन वाक्यों में कॉमनसेंस की कमी होती है ! तभी इस तरह के वाक्यों का प्रयोग किया जाता है .! इसलिए साधरण तरीका तो ये होना चाहिए कि हम ये ही सोचें कि जिन वाक्यों का हम प्रयोग कर रहें हैं, कहीं उनमे " कामनसेंस ' की कमी तो नहीं हो रही ..! हमे इस बात पर गौर कर लेना चाहिए कि हमने जो कहा है उसे सुन कर सामने वाला क्या सोच सकता है ..और यही बात यदि वो कहे तो हमे कैसा लगेगा ..! बस जिस दिन हम इस बात को समझ जातें हैं उस दिन हम उस चीज से दूर हो जातें हैं - जिसे किसी भी व्यक्तित्व के लिए " जहर " माना जाता है और वो है - " अहम् या इगो " ! है न एकदम सरल तरीका ...साधारण रहते हुए भी असाधारण बने रहने का ..!!!!
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