Tuesday, February 8, 2011

" उदास मन "

जब मन उदास हो जाता है तो लगता है जैसे प्रकृति भी उदास हो गई हो ..! सच है प्यार में इतनी ताकत होती है कि वो चाहे तो पतझड़ में फूल खिला दे ..चाहे तो हरियाली को बदल दे पतझड़ में ..! है न ..! और सच्चा प्यार होता ही है उदासी में खिला हुआ फूल ..! जिसकी महक दिल की उदासी को भी यादों से महका देती है ..! मन उन यादों  के सहारे समय के इस लम्बे सफ़र पर चलता चला जाता है अनवरत ..निरंतर ...अकेला ही ..! यादें भी तो अजीब होतीं है अकेला रहने भी तो नहीं देतीं ..! चलतीं हैं साया बन कर ...! हम सोचतें हैं यादों का साया तो साथ देगा पर ...जब मन में ही जुदाई का अँधेरा है तो कहाँ देता है साया भी साथ ..!
" किसी का होने के बाद क्यों मिलती है तड़प ,
कोई बताये ये बैचेनी कहाँ से आती है !
कहाँ से आते हैं इतने सारे दुःख और गम ,
और क्यों हर किसी में उसकी सूरत नज़र आती है !
हसरत नहीं , अरमान नहीं , आस नहीं ,
यादों के सिवा अब  मेरे पास कुछ नहीं !
जीवन की राहों में कौन किसी का होता है ,
साया भी साथ नहीं देता जब दिल में अँधेरा होता है !!"

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