Monday, February 14, 2011

तुम्हारा नाम







प्रिये मैंने लिखा जब -
तुम्हारा नाम आकाश पर !
पर बहा ले गए उसे -
बेदर्द बादल अपने साथ !
फिर मैंने लिखा जब -
तुम्हारा नाम सागर की रेत पर !
पर निर्दई लहरें आईं-
और मिटा कर चलीं गईं !
और मैंने लिखा जब -
नाम तुम्हारा अपने दिल पर !
कोई कुछ नहीं पाया -
हैं हमेशा सुरक्षित मेरे दिल में !!

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